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देशभर के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल छह राज्यों के पास ही दिव्यांगों से जुड़े मुद्दों की देखभाल के लिए विभाग और जिला सामाज कल्याण अधिकारी हैं। एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारिता पर संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि केंद्र सरकार की ओर से विशेष निर्देश दिया जा चुका है।
- केवल छह राज्यों के पास दिव्यांग व्यक्तियों के मुद्दों का समाधान करने के लिए समर्पित विभाग/जिला समाज कल्याण अधिकारी हैं।
- ये राज्य आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं। समिति ने कहा है कि इससे दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति राज्य सरकारों की उदासीनता और असंवेदनशीलता का पता चलता है।
- संसदीय समिति ने दिव्यांग व्यक्तियों के विभाग को राज्यों के सामने उच्चस्तर पर दिव्यांगता संबंधित समर्पित विभाग होने और प्रदेश दिव्यांगता आयुक्त की नियुक्ति करने का मुद्दा उठाने के लिए कहा है।
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘यह प्रयास भी कोई परिणाम देने में विफल रहता है, तो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 में संशोधन के लिए राज्य दिव्यांगता आयुक्त की नियुक्ति को अनिवार्य किया जाना चाहिए।’