Today’s GS BYTE : कर मुक्त होगी 20 लाख तक की ग्रेच्युटी

देश में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को जल्द ही अच्छी खबर मिल सकती है। आगामी बजट सत्र में ग्रेच्युटी को लेकर संशोधन विधेयक पारित होने की उम्मीद है। इसके पारित होने से 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी टैक्स छूट के दायरे में आ जाएगी।

अभी संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर टैक्स नहीं देना पड़ता है। सातवें वेतन आयोग में सरकारी कर्मचारियों के लिए कर मुक्त ग्रेच्युटी की सीमा 20 लाख रुपये कर दी गई थी।

क्या है 
  1. बजट सत्र में ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2017 पेश किया जाएगा। इसे शीतकालीन सत्र में संसद के समक्ष रखा गया था। आगामी सत्र में इसके पारित होने की उम्मीद है।
  2. सरकार संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी सरकारी कर्मचारियों की ही तरह टैक्स छूट के दायरे में आने वाली ग्रेच्युटी की सीमा को 20 लाख रुपये करना चाहती है
  3. संसद से विधेयक पास होने के बाद सरकार को छूट के दायरे में आने वाली ग्रेच्युटी की सीमा को दोबारा तय करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। फिलहाल संगठित क्षेत्र में काम करने वालों को पांच साल या उससे ज्यादा की सर्विस पर 10 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी पर टैक्स छूट मिलती है।
  4. यह विधेयक पारित होने के बाद, सरकार को केंद्रीय कानून के तहत मातृत्व अवकाश की अवधि और ग्रैच्युटी को नोटिफाई करने की अनुमति मिल सकेगी
  5. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने 18 दिसंबर, 2017 को लोकसभा में यह विधेयक पेश किया था। मौजूदा पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी एक्ट, 1972 को फैक्टियों, खदानों, तेल क्षेत्रों, बंदरगाहों, रेलवे कंपनियों आदि संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भुगतान के लिए लागू किया गया था।
  6. श्रम सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार बजट सत्र में वेज कोड (वेतन संहिता) विधेयक ला सकती है। यह सरकार की ओर से लाया जाने वाला पहला लेबर कोड होगा।
  7. इसके पारित होने के बाद सरकार विभिन्न क्षेत्रों में न्यूनतम वेतन तय कर सकेगी। श्रम मंत्रालय 44 से ज्यादा श्रम कानूनों को समाहित करते हुए वेतन, औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा और पेशेवर सुरक्षा की श्रेणी में चार संहिताएं लाने की तैयारी में है। वेज कोड इस दिशा में पहला कदम है।
  8. इस संबंध में मसौदा विधेयक अगस्त, 2017 में लोकसभा में रखा गया था। वहां से इसे सेलेक्ट कमेटी (प्रवर समिति) के पास भेज दिया गया था। इस संहिता में पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट, 1936, मिनिमम वेजेज एक्ट, 1949, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, 1965 और इक्वल रीम्यूनरेशन एक्ट, 1976 को समाहित किया गया है।

 

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