Today’s GsByte :जजों के विवाद में 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस से उपजी स्थिति पर विचार विमर्श के लिए बार काउंसिल आफ इंडिया ने बैठक बुलाई। बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने कहा कि यह न्यायपालिका का आंतरिक मसला है इसलिए इसे आंतरिक रूप से सुलझाया जाए। उन्होंने कहा कि मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।

बार काउंसिल के अध्यक्ष ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट के जजों से मिलने के लिए काउंसिल ने 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बनाया है जो सुप्रीम कोर्ट के जजों से मुलाकात करेगा। मनन मिश्रा ने कहा ‘प्रधानमंत्री और कानून मंत्री ने खुद कहा था कि यह न्यायपालिका का आतंरिक मसला है और सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं।

क्या है 
  1. बार काउंसिल आफ इंडिया का प्रतिनिधि मंडल जजों से मिलने की कोशिश करेगा ताकि जो विवाद उपजा है उसे जज आपस में मिल बैठ कर सुलझा लें। प्रतिनिधि मंडल दिल्ली में उपलब्ध सभी सुप्रीम कोर्ट जजों से मिलने का प्रयास करेगा।
  2. 12 जनवरी 2018 का दिन सुप्रीम कोर्ट के इतिहास मे अभूतपूर्व घटना के रूप में दर्ज हो गया। यूं तो कई मसलों पर कोर्ट के अंदर मतभेद की चर्चा होती रही है, लेकिन बगावत हुई।
  3. लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ में मोटी दरार दिखी। जस्टिस जे.चेलमेश्वर के आवास पर जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने मीडिया से रूबरू होते हुए आरोप लगाया कि ‘सुप्रीम कोर्ट प्रशासन में सबकुछ ठीक नहीं है और कई ऐसी चीजें हो रही है जो नहीं होनी चाहिए। अगर यह संस्थान सुरक्षित नहीं रहा तो लोकतंत्र खतरे में होगा
  4. जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि चारो जजों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को कुछ दिनों पहले पत्र लिखकर अपनी बात रखी थी। उनसे मुलाकात कर शिकायत की लेकिन वह नहीं माने और इसीलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए उन्हें मीडिया के सामने आना पड़ा।
  5. उन्होंने मीडिया को सात पेज की वह चिट्ठी भी वितरित की जो जस्टिस मिश्रा को लिखी गई थी। उस पत्र में मुख्य रूप से पीठ को केस आवंटित किए जाने के तौर तरीके पर आपत्ति जताई गई है।
  6. न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के एक मुद्दे का तो पत्र में उल्लेख है लेकिन माना जा रहा है कि यह खींचतान लंबे अर्से से चल रही थी और संभवत: सीबीआइ जस्टिस बीएच लोया की मौत का मुकदमा तात्कालिक कारण बना जिसपर सुप्रीम कोर्ट के अन्य बेंच में सुनवाई थी।

 

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