Union Budget 2018 : आइए जानते हैं बजट 2018 की दस बड़ी बातें-

किसानों, गरीबों और मजदूरों के नाम रहा यह बजट, क्या हैं इसकी 10 बड़ी बातें

2 करोड़ नए शौचालय बनेंगे. सैनिटरी सेक्टर की कंपनियों के शेयरों को इसका जबरदस्त फायदा मिलेगा

इस बार का बजट किसानों, गरीबों और मजदूरों के नाम रहा है. किसानों के लिए जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी इजाफा किया गया है, तो गरीबों और मजदूरों के लिए स्वास्थ्य बीमा में बड़ा ऐलान हुआ है. हालांकि नौकरीपेशा लोगों के लिए यह बजट निराशाजनक रहा है. इनकम टैक्स छूट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. पहले ये कहा जा रहा था कि इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है. लेकिन इनकम टैक्स छूट की सीमा तो नहीं बढ़ाई गई 40 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिला है. यानी हर तरह के सैलरी वालों को वेतन से 40 हजार घटाकर टैक्स देना होगा. इसे छोटी राहत मानी जा सकती है लेकिन इनकम टैक्स छूट में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

आइए जानते हैं बजट 2018 की दस बड़ी बातें

-इनकम टैक्स छूट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. 40,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा. यानी वेतन से 40,000 रुपए घटाकर टैक्सेबल इनकम बनेगी. इनकम टैक्स पर 1 फीसदी सेस बढ़ाया गया. सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी किया गया. शिक्षा और स्वास्थ्य टैक्स बढ़ाया गया. शेयरधारकों को अधिक टैक्स देना होगा.

-मोबाइल फोन महंगा. टीवी के भी दाम बढ़ेंगे. टीवी के कलपुर्जों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ी. मोबाइल फोन पर कस्टम ड्यूटी बढ़ी.

-लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन अब 10 फीसदी होगा. 250 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाली कंपनियों को 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स देना है. पहले यह राहत 50 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाली कंपनियों को ही थी.

-80000 करोड़ का विनिवेश लक्ष्य, बाजार अगर डूबा नहीं, तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. एयर इंडिया का विनिवेश किया जाएगा.

-राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख, उपराष्ट्रपति का 4 लाख होगी, उपराज्यपाल का 3.5 लाख, सांसदों के भत्ते और सैलरी 5 साल में बढ़ाए जाएंगे.

-2 करोड़ नए शौचालय. सैनिटरी सेक्टर की कंपनियों के शेयरों को इसका जबरदस्त फायदा मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में पांच लाख वाई फाई हाट स्पॉट. टेलीकॉम कंपनियों के लिए नया कारोबार, उनके शेयरों के लिए पॉजिटिव. -7100 करोड़ रुपए टेक्सटाइल सेक्टर के लिए. यह सेक्टर एक साथ निर्यात और रोजगार का केंद्र बन सकता है.

-सरकार ने उज्ज्वला योजना का टारगेट 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ दिया है. दूसरी तरफ कामकाजी महिलाओं की जेब भरते हुए महिलाओं के ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन को कम करके 8 फीसदी कर दिया है. यानी जिन महिलाओं का वेतन कम है वह कम ईपीएफ कटवाकर ज्यादा पैसा खर्च के लिए रख सकती हैं. पहले यह करीब 9 फीसदी था. सरकार ने इस साल नए कर्मचारियों के लिए यह बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है.

-रेलवे के सभी नेटवर्क ब्रॉडगेज में बदले जाएंगे. 25 हजार स्टेशनों पर स्वचालित सीढ़ियां लगेंगी. देश में अब सिर्फ बड़ी लाइनों पर ट्रेन चलेंगी. सभी स्टेशनों पर वाईफाई लगेंगे. मुंबई लोकल का दायरा बढ़ाया जाएगा, 90 किलोमीटर के लिए नई डबल लाइन. 600 स्टेशनों को आधुनिक बनाएंगे.

-इनकम टैक्स को लेकर सरकार का बड़ा ऐलान. इनकम टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी. नोटबंदी से करीब 1000 करोड़ रुपए ज्यादा टैक्स आया. नोटबंदी के बाद करीब 85.51 लाख नए टैक्सपेयर आए.

-भारत नेट के तहत 1 लाख ग्राम पंचायतें जुड़ेंगी. सभी टोल प्लाजा पर ई-पेमेंट की सुविधा. सीमा पर सड़के बनाने पर जोर.

 

अब तक के बजट भाषण में पुराना है शेरो-शायरी का अंदाज

बजट भाषण देते वक्त वित्त मंत्री शेरो-शायरी का भी सहारा लेते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बजट का भाषण उबाऊ न हो

 

सरकार और आमजन के लिए बजट एक खास मौका होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इसके लिए खास तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं. सबसे अहम बात यह कि बजट के दस्तावेज बजट आने से दो दिन पहले आधी रात को प्रिंटर्स को सौंपे जाते हैं. संसद में जो भाषण वित्त मंत्री देते हैं उसे वे खुद या मुख्य आर्थिक सलाहकार की मदद से लिखते हैं. हालांकि भाषण का मसौदा क्या हो, इसके लिए वित्त सचिव और एक-दो आला अधिकारियों के भी विचार ले लिए जाते हैं. आपने देखा होगा कि बजट भाषण देते वक्त वित्त मंत्री शेरो-शायरी का भी सहारा लेते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बजट का भाषण उबाऊ न हो.

मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अन्य नेताओं से इतर संस्कृत में यह श्लोक पढ़ा-सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुख भागभवेत। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः. इसका अर्थ है- सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

मनमोहन सिंह के भाषण में विक्टर ह्यूगो

जेटली ही अकेले ऐसे वित्त मंत्री नहीं हैं जो भाषण के दौरान नामी-गिरामी लोगों या उनकी रचनाओं को उद्धृत करते हैं. कभी प्रणब मुखर्जी भी अपने बजट भाषणों में कौटिल्य के अर्थशास्त्र का जिक्र करते थे. इतना ही नहीं, 1991 में राजीव गांधी की सरकार में वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई को अपने बजट भाषण में फ्रेंच लेखक विक्टर ह्यूगो की एक पंक्ति, नो पावर ऑन अर्थ कैन स्टॉप एन आइडिया हूज टाइम हैज कम दोहराकर नई शुरुआत की थी. यानी कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसके आने का वक्त हो चुका है. संसद के बाहर-भीतर मनमोहन सिंह के इस कथन की काफी चर्चा हुई थी.

चिदंबरम ने तिरुवल्लूर को किया था याद

पी चिदंबरम ने 1996-97 का बजट पेश किया था. अपने भाषण में उन्होंने तमिल ऋषि-कवि तिरुवल्लुवर की ये लाइनें इयात्तरालुम, एत्तालुम, कत्तालुम, कट्टा; वकुथालम वल्लाथ अरासु दोहराई थीं. इसका अर्थ है-धन बढ़ाने लायक बनो, इसे संभालो और इसकी रक्षा करो; और बेहतर है इसे बांटो और अपनी अपनी बेहतर पहचान बनाओ. संसद में भाषण देते वक्त उन्होंने गालिब का एक शेर भी पढ़ा था, रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो गालिब, कहते हैं अगले जमाने में कोई मीर भी था.

जब दिनकर की लाइनें सबको छू गईं

यशवंत सिन्हा ने 1998-99 में एनडीए सरकार का बजट पेश किया. वित्त मंत्री के तौर पर सिन्हा का यह पहला बजट भाषण था. सिन्हा ने मौका न गंवाते हुए और बरसों से चली आ रही परिपाटी को आगे बढ़ाते हुए रामधारी सिंह दिनकर की कुछ लाइनें पढ़ी थीं. ये लाइनें थीं- अंधेरी रात के सितारों का रंग फीका पड़ रहा है, अब पूरा आसमान तुम्हारा है.

ममता पढ़ती थीं शेर

ममता बनर्जी अपने जमाने में शेर पढ़ती थीं. 2002 का उनका रेल बजट भाषण सबको याद है क्योंकि तब ममता ने शहीदों के सम्मान में की जाने वाली बजट घोषणाओं से पहले लता मंगेशकर की एक प्रसिद्ध गीत की पंक्तियां पढ़ी थीं. कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गोरखा कोई मद्रासी, सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी. जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी. शहीदों की याद में ममता बनर्जी के ये श्रद्धांजलि शब्द सबकी आंखें नम कर गई थीं.

 

 

 

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