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नये उपभोक्ता संरक्षण कानून में मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने का कड़ा प्रावधान किया है। नकली उत्पादन बनाने, बेचने और मिलावट करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। उपयुक्त कानून के अभाव में अभी तक ऐसे अपराधी आसानी से छूट जाते हैं।
नये उपभोक्ता कानून के मसौदे पर आपराधिक अदालतों में मुकदमा चलाने का प्रावधान किया गया है। ऐसे अपराधियों पर उपभोक्ताओं के नुकसान के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। इसमें उनके ऊपर भारी आर्थिक जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
- लोकसभा में 5 जनवरी 2018 को पेश किये गये नये उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2018 में उपभोक्ताओं के अधिकारों से जुड़े कई नये विषय भी जोड़ दिये गये हैं, जो अब तक इसमें शामिल नहीं थे।
- मिलावटी व नकली वस्तुओं का उत्पादन व बिक्री करने वालों पर कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं था। वर्ष 1986 के उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे से यह विषय बाहर था, जिसे अब शामिल कर लिया गया है।
- केवल खाद्य वस्तुओं में मिलावट का मसला फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट-2006 के दायरे में था, बाकी वस्तुओं पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं के बराबर था।
- शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन पेश इस विधेयक के अगले बजट सत्र में पारित होने की संभावना है। यह पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 का स्थान लेगा।
- जबकि पुराने कानून को संशोधित करने के बारे में संसद की स्थायी समिति ने अपनी सिफारिश में इस विषय पर गंभीर चिंता जताई थी। समिति ने अपनी सिफारिश में इसे शामिल करने के साथ सख्त कानूनी प्रावधान की सिफारिश की थी।
- मिलावटी करने वाले अपराधियों पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता प्राधिकरण का भी गठन किया जाएगा। प्राधिकरण उन मामलों को देखेगा जो नकली सामान बनाने, भंडारण करने, बेचने और वितरण करेगा, जिसका कुप्रभाव जाने अनजाने उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
- इसके लिए उपभोक्ता अदालतों का पूरा ढांचा मजबूत बनाया जाएगा, जिसमें आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतें भी शामिल होंगी।