News For Aspirants (Hindi)
सबसे बड़े वाइल्डलाइफ सर्वे से होगी बाघों की गिनती
देश में बाघों की संख्या का अनुमान लगाने की चौथी कोशिश शुरू हो गई है। इसे ज्यादा सटीक बनाने के लिए प्रक्रिया का पूरी तरह डिजिटाइजेशन किया गया है। आकलन एक एंड्रॉयड फोन बेस्ड एप्लिकेशन और डेटा को एकत्र, जमा और विश्लेषण करने के लिए M-STrIPES के डेस्कटॉप वर्जन पर आधारित होगा।
M-STrIPES बाघों के संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिति की निगरानी का सिस्टम है। देश में बाघों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए प्रत्येक चार वर्षों में उनकी गिनती की जाती है। यह दो चरणों में होती है।
क्या है
- पहले चरण में बाघ के पंजों के निशान के आधार पर डेटा एकत्र करने के लिए 18 राज्यों में फॉरेस्ट गार्डऔर अधिकारियों को भेजा जाता है। इस डेटा को पहला सैंपल माना जाता है।
- दूसरे चरण में बायॉलॉजिस्ट कैमरा ट्रैप इंस्टॉल कर डेटा हासिल करते हैं। इसके बाद दोनों सैंपल का एक कस्टमाइज्ड सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से मिलान किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर बाघों की व्यक्तिगत पहचान उनके शरीर पर बनी धारियों के आधार पर करता है।
- नए सिस्टम के तहत, सैंपल लेने की दोहरी तकनीक समान है, लेकिन इसके साथ एक फोन बेस्ड एप्लिकेशन जोड़ी गई है। यह ऐप पहले सैंपल को एकत्र करने के लिए सर्वे के ट्रैक लॉग और वन अधिकारियों की ओर से लिए गए रास्तों और दूसरे सैंपल में बायॉलॉजिस्ट के आंकड़ों का रिकॉर्ड ऑटोमैटिक तरीके से दर्ज करती है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ सर्वे होने की उम्मीद है।
- वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साइंटिस्ट वाई वी झाला ने कहा, ‘हम डिजिटाइजेशन के साथ बाघों की गिनती की सटीकता को सुधारने में सक्षम होंगे। इसमें पूर्वोत्तर का एक नया क्षेत्र भी कवर किया जाएगा। पिछले तीन सर्वेक्षण में सैंपल को ठीक तरीके से एकत्र नहीं किया गया था।’
- इसबार कैमरा लोकेशंस को भी बढ़ाया गया है।2014 के सर्वे में 9,000 कैमरा लोकेशंस का इस्तेमाल किया गया था, जो इस बार बढ़ाकर 14,000 की गई हैं।
- बाघों की संख्या के साथ ही बायॉलॉजिस्ट्स को तेंदुओं की संख्या का अभी अनुमान मिलेगा। झाला ने बताया, ‘हम पहले यह देख चुके हैं कि केवल पंजों के निशान बाघों की संख्या से जुड़ा डेटा एकत्र करने का सटीक तरीका नहीं है।’
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भारत ने किया एक अौर स्वदेशी मिसाइल का सफल परीक्षण
भारत ने सफलतापूर्वक परमाणु सक्षम स्वदेशी अग्नि-I (A) मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण 6 फ़रवरी 2018 को सुबह 8.30 बजे ओडिशा के बालासोर में अब्दुल कलाम आइलैंड पर किया गया।परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का परिक्षण भारतीय स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड द्वारा किया गया।
क्या है
- यह मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई है जिसकी मारक क्षमता 700 किमी है। 15 मीटर की ऊंचाई वाली इस मिसाइल में लिक्विड और सॉलिड दोनों तरह के ईंधन का प्रयोग हो सकता है जिसके चलते है एक सेकंड में5 किमी प्रति घंटे की दूरी तय करती है।
- हाल मेंभारत ने अग्नि 5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। भारत के मिसाइल बेड़े में फिलहाल अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3, अग्नि-4 मिसाइलें हैं। जिनकी मारक क्षमता क्रमशः 700 किमी से 3500 किमी की है।
फ़्लैशपॉइंट
- अग्नि -I (700 किली की मारक क्षमता)
- अग्नि- II (2,000 किली की मारक क्षमता)
- अग्नि- III और अग्नि- IV ( 3,500 किलोमीटर की सीमा से अधिक मारक क्षमता)
- भारत के पास सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलें भी हैं
- हाल ही में26 दिसंबर, 2016 को भारत ने अग्नि– V का सफल परीक्षण किया
अग्नि-I (A) की खासियत
- इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर है।
- अग्नि -1 देश की सबसे महत्वाकांक्षी अग्नि श्रृंखला की पहली मिसाइल हैजिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
- भारत ने स्वदेशी अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया
- इस मिसाइल में लिक्विड और सॉलीड दोनों तरह के ईंधन का प्रयोग हो सकता है।
- यह एक सेकंड में5 किमी प्रति घंटे की दूरी तय करती है।
- अग्नि-I की ऊंचाई 15 मीटर है, जिसे दोनों रोड और रेल मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है
- मिसाइल का वजन करीब 12 टन है।