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इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी संशोधन विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के साथ ही इसे संसद से पारित भी कर दिया गया है। लोकसभा ने इसे पिछले हफ्ते ही हरी झंडी दिखा दी थी। राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक पर कहा कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी के क्षेत्र में हाल के वर्षो में ही काम हुआ है।
अभी तक यह क्षेत्र हम सभी के लिए नया है। अभी हम काफी कुछ सीख रहे हैं। राज्यसभा ने इस विधेयक को ध्वनि मत से मंजूरी दी है। पहले पारित इस कानून के आधार पर बने इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के प्रावधानों का फायदा उठाकर दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी कंपनी के प्रमोटर ही उसे खरीदने की कोशिश कर रहे थे। बिना कर्ज चुकाए कंपनी वापस खरीदने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए सरकार ने नवंबर में कुछ नियमों के साथ अध्यादेश जारी किया था।
- इस अध्यादेश के स्थान पर ही संशोधन विधेयक पेश किया गया। नए प्रावधानों के अनुसार एनपीए में फंसी कंपनी की नीलामी प्रक्रिया में उसके प्रमोटर तभी हिस्सा ले पाएंगे जब वे बैंकों का बकाया पूरा कर्ज और ब्याज चुका दें।
- हालांकि कई विपक्षी दलों के सांसदों ने यह चिंता भी व्यक्त की कि नए नियमों ने स्ट्रेस्ड एसेट्स के लिए प्रतिस्पर्धा को कम कर दिया है जिसके परिणाम स्वरुप लेनदारों से कम वसूली हो पाई है।