Today’s GS BYTE : 15 लाख साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण

 

अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर ग्राम नरवर के पास टिकोदा व डामडोंगरी में 15 लाख वर्ष पुराने प्रागैतिहासिक कालीन सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। यह जानकारी खुद पुरातत्व आयुक्त अनुपम राजन ने दी है।

उन्होंने बताया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली के सेवानिवृत्त महानिदेशक डॉ.एसवी ओटा द्वारा इस क्षेत्र में वर्ष 2010 से 2015 तक लगातार 6 साल तक कराए गए उत्खनन से यह प्रमाणिक तथ्य प्रकाश में आए हैं।

 

क्या है 

  1. श्री राजन ने इस क्षेत्र में पुरातत्वीय एवं ऐतिहासिक प्रमाणिक तथ्य की जानकारीदेते हुए बताया टिकोदा स्थल के निचले स्तरों से जो पाषाण उपकरण मिले हैंउनकी समानता अफ्रीका से प्राप्त ओल्डवान संस्कृति के उपकरणों से मिलती-जुलती है।
  2. इन दोनों क्षेत्रों में प्राचीन मानव जिस जलवायु में रहता था, उसके रहन-सहन, खान-पान समेत अन्य गतिविधियों की जानकारी, मिट्टी के नमूनों और पाषाण उपकरणों से मिलती है। इस उत्खनन कार्य में शतुरमुर्ग के अण्डे के टुकड़े भी मिले हैं।
  3. मानव निर्मित पाषाण औजारों में हस्तकुठार, विदारणी, खुचरनी एवं अन्य फलक उपकरण प्रमुख हैं। इन स्थलों का प्रागैतिहासिक कालीन प्रभाव विभिन्ना उत्खनित भागों में लगभग एक मीटर से5 मीटर तक अलग-अलग पाया गया है। यह सभी पुरातात्विक साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह क्षेत्र लाखों वर्ष पहले मानव गतिविधियों का केन्द्र रहा है।
  4. यहाँ मिले पाषाण उपकरण अफ्रीका के ओलडोवन कल्चर से मिलते जुलते हैं। अफ्रीका का इस कल्चर में प्रागेतिहासिक काल में सबसे प्रारंभिक और व्यापक पुरातत्वीय उपकरण माने गए हैं।
  5. अफ्रीका में यह3 लाख साल पहले के माने गए है और यह लोमेकवियन टूल भी कहे जाते है। यह अब तक अफ्रीका, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के बहुत से प्राचीन घरों में मिले है।

 

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