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भारत में प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। वर्ष 2015 में यह दिवस 11 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया गया था। ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह’ के तहत आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से आमजन को यातायात नियमों की आधारभूत जानकारी मिलती है।
आकस्मिक कारक के रूप में सड़क दुर्घटनाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि कुल सड़क दुर्घटनाओं में 78.7 प्रतिशत चालकों की गलती से होती हैं। इस गलती के पीछे शराब/मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरुरत से अधिक भीड़ होना, वैध गति से अधिक तेज़ गाड़ी चलाना और थकान आदि होना है।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह: उद्देश्य
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा आम जनता को यातायात के नियमों की आधारभूत जानकारी दी जाती है। इसके अतिरिक्त
- सड़क सुरक्षा अभियान को मनाने का उद्देश्य समुदाय, स्कूल, कॉलेज, कार्यशालाओं, सड़कों आदि पर लोगों के बीच में सड़क सुरक्षा के साधनों को बढ़ावा देना है।
- सड़क सुरक्षा साधनों का प्रयोग करने के द्वारा सड़क दुर्घटनाओं, सड़क दुर्घटना में मृत्युओं और चोटों को कम करने और पूरी तरह से हटाने के लिए।
- सभी यात्रियों को यातायात के नियमों का पालन करने और ड्राइविंग के दौरान हेलमेट या सीट बेल्ट लगाने के लिए बढ़ावा देना।
- उन सुरक्षा के नए साधनों को लागू करने के लिए, जो सड़क दुर्घटनाओं को के खतरे, मृत्यु या चोट लगने को कम करने के लिए साबित हो चुके हैं।
- सड़क दुर्घटनाओं को बचाने के लिए लोगों को वाहनों की गति सीमा के बारे में जागरुक करने के लिए।
- लोगों को जागरुक करने के लिए कि थके होने पर या नशे में होने पर वाहन नहीं चलाए और वाहन चलाते समय फोन या रेडियो का प्रयोग नहीं करें।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह: कार्यक्रम
‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह’ प्रत्येक वर्ष जनवरी महीने में मनाया जाता है। इस दिन यातायात सुरक्षा से सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। भारत में कई शहरों; जैसे- दिल्ली, बैंगलोर, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, वड़ौदा, पुणे या पूना, भुवनेश्वर, हैदराबाद, चंड़ीगढ़ आदि में सड़क सुरक्षा सप्ताह बहुत उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। इस अभियान के पूरे सप्ताह के दौरान विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक बैनर, सुरक्षा पोस्टर, सुरक्षा फिल्म, जेब गाइड और सड़क सुरक्षा से संबंधित पत्रक आदि सड़क पर यात्रा करने वाले यात्रियों को दिए जाते हैं। सड़क पर यात्रा करते समय वे सड़क सुरक्षा के बारे में प्रोत्साहित होते हैं; अर्थात्- यात्रा करने का योजनापूर्ण, अच्छी तरह से आयोजित और पेशेवर तरीका। वे लोग जो गलत तरीके से सड़क पर वाहन चलाते हैं, उन्हें गुलाब का फूल देकर उनसे सड़क सुरक्षा मानकों और यातायात के नियमों का पालन करने का अनुरोध किया जाता है।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह: महत्व
भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों को राष्ट्रीय सड़कों की सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए सड़क सुरक्षा अभियान का आयोजन आईएसएस भारत, एचएसई (स्वास्थ्य, सुरक्षा और वातावरण) द्वारा की गई पहल है। आईएसएस भारत ने देश में जनवरी के पहले हफ्ते में पूरे सप्ताह के दौरान सड़क सुरक्षा सप्ताह को मनाने की घोषणा की गई थी। इस अभियान का आयोजन करने का लक्ष्य सड़क सुरक्षा के लिए सिर्फ साधारण नियमों का पालन करने के द्वारा सुरक्षित सड़क यात्रा पर जोर देना था।
आंकड़ों के अनुसार यह दर्ज किया गया है कि, हर साल लगभग एक लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं, या उनमें से कुछ मानसिक आघात, याददाश्त में कमी, हाथ या पैर की हानि, पूरे जीवन भर के लिए परेशानी वाली समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं। इस तरह की स्थितियों के कारण, विशेषरुप से भारत में सड़क सुरक्षा के उपायों का महत्व और आवश्यकता बढ़ जाती है। भारत में सड़क पर यात्रा करने वालों की बहुत बड़ी जनसंख्या है, जैसे- दुपहिया वाहन, चार पैरों वाले वाहन आदि, इसलिए उन्हें और भी अधिक सड़क सुरक्षा के बारे में जानना चाहिए।
इसके लिए विभिन्न हितकारकों; जैसे- समुदायों, परिवहन क्षेत्र, बीमा क्षेत्रों, स्वास्थ्य क्षेत्रों, पुलिस, वैधानिक क्षेत्र, शैक्षणिक क्षेत्र, राजमार्ग के निर्माता अभियंता (इंजीनियर) वाहन निर्माता, सार्वजनिक एजेंसियाँ, गैर सरकारी संगठन आदि के प्रयासों की भी आवश्यकता है। सड़क सुरक्षा में भाग लेने के लिए विद्यार्थियों को बड़ा अवसर दिया जाता है, कुछ परिवर्तन लाने के लिए, देश के युवाओं सबसे पहले समझना चाहिए।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह: सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता
सड़क सुरक्षा को राजनीतिक स्तर पर प्राथमिकता दी जा रही है। तदर्थ सड़क सुरक्षा गतिविधियों को सतत कार्यक्रमों में बदलने पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य क्षमता के अनुसार दीर्घकालीन और अंतरिम लक्ष्यों, नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करते समय वर्तमान सड़क सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के क्रमबद्ध मूल्यांकन की सिफारिश की गई है। इसके तहत उच्च स्तर पर सरकारी एजेंसियों, जैसे- परिवहन, पुलिस, स्वास्थ्य, न्याय और शिक्षा के वरिष्ठ प्रबंधन को, जो संभवत: अभी तक सक्रिय रूप से सम्मिलित नहीं हुआ है, को बहुस्तरीय रणनीति के अंतर्गत शामिल करना है। इसके अलावा सभी भागीदारों को सड़क सुरक्षा में अपना योगदान देना होगा।
विभिन्न उपाय
‘सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय’ ने देश में सड़क दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए विभिन्न उपाय किये हैं-
- सरकार ने एक ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति’ भी मंजूर की है, जिसके तहत विभिन्न उपायों में जागरूकता बढ़ाना, सड़क सुरक्षा सूचना पर आंकड़ें एकत्रित करना, सड़क सुरक्षा की बुनियादी संरचना के अंतर्गत कुशल परिवहन अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करना तथा सुरक्षा कानूनों को लागू करना शामिल हैं।
- सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिए भारत सरकार ने शीर्ष संस्था के रूप में ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद’ का गठन किया है।
- मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से राज्य तथा ज़िला स्तर पर ‘सड़क सुरक्षा परिषद’ और समितियों की स्थापना करने का अनुरोध भी किया है।
- मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा पर चार स्तरों- शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग (सड़क और वाहनों) और आपात देखभाल के स्तर पर सुदीर्घ नीति अपनाई है। परियोजना चरण पर ही सड़क सुरक्षा को सड़क डिज़ाइन का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है।
- विभिन्न चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेस मार्गों पर सुरक्षा लेखा/आंकड़ें भी एकत्रित किये जा रहे हैं।
- वाहन चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए संस्थान स्थापित किए गए हैं।
- वाहन चलाते समय सुरक्षा उपायों, जैसे- हेलमेट, सीट बैल्ट, पॉवर स्टेयरिंग, रियर व्यू मिरर और सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित अभियान पर जोर दिया जा रहा है।
- ‘सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय’, सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नवीन उपायों के तहत ‘सड़क सुरक्षा सप्ताह’, दूरदर्शन और रेडियो नेटवर्क से प्रचार, सड़क सुरक्षा पर सामग्री का वितरण, प्रकाशन, समाचार पत्रों में विज्ञापन तथा सड़क सुरक्षा पर सेमिनार, सम्मेलन और कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है।
- उपरोक्त के अतिरिक्त पाठ्य पुस्तकों में सड़क सुरक्षा पर एक अध्याय शामिल किया गया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-सीबीएसई ने कक्षा छह से कक्षा बारह के पाठ्यक्रम में ऐसे लेख शामिल किए हैं। राज्य सरकारों को राज्य शिक्षा बोर्ड के स्कूलों के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा से संबंधित लेख शामिल करने की सलाह भी दी गई है।